Wednesday, October 6, 2010

तेरे बिन क्या हालत होगी ,ये सोच नही सकता-एक गजल

साथियोँ ,जब कोई परिँदा पर मारने मे निपुण हो जाता है तो उसे लगता है कि जैसे सब कुछ मिल गया हो
दिल कि नजरोँ को उदास मत करना
मन के उचे सपनो को निराश मत करना
देर से ही सही पर मंजील पर तो पहुँचोगे,
इसलिए जल्दबाजी मे कोई काम मत करना

शेर अपने आप ही शब्दोँ का मतलब बयां कर देते हैँ एक ऐशा ही शेर आपके पेसे खिदमत है
मंजील की तलाश किसे नही होती है
उम्मीदोँ कि चांह किसे नही होती है
यकीं हो तो कदमो मे दूनिया,
वरना सपनो कि उङान किसे नही होती हैँ ।

अब आपके सामने एक रचना प्रस्तुत है जिसे आप गजल या गीत का नाम दे सकते हैँ

तेरे बिन क्या हालत होगी,ये सोच नही सकता
तेरे जैसा दुजा ,मै खोज नही सकता
तेरे बिन क्या हालत होगी,ये सोच नही सकता
तेरे जैसा दुजा ,मै खोज नही सकता

कहाँ से लाँउंगा मै वो चाँद का टुकङा
जिँदा रहता हूँ देखकर जिसे ,वो मुखङा
अपनी किस्मत को भी तो मै कोस नही सकता
तेरे बिन क्या हालत होगी,ये सोच नही सकता



जब उङने लगे बेवफाई के बादल
क्या देखूं मै तेरो नैनो के काजल
भरी बरसात मे खूद को बोर नही सकता
तेरे बिन क्या हालत होगी,ये सोच नही सकता




तेरे होठोँ से सुन लूँ वो प्यार का तराना
ऐसा सुन सकूं जो बताना
अफवाहोँ के बजार मे खुद को बेच नही सकता

तेरे बिन क्या हालत होगी ,ये सोच नही सकता-एक गजल