Saturday, September 11, 2010

बनो अहिँसा के साथी ,सदा विजय ने साथ निभाया-एक गजल

तुमने हमको चलना सिखलाया ,तुमने ही ये है पाठ पढाया

बनो अहिँसा के साथी ,सदा विजय ने साथ निभाया निभाया
क्या मिलेगा छल से मानव ,क्यो स्वार्थय को तूने अपनाया
नजर प्यार की कर ले तू ,क्यो दर्द से तू घबराया

प्यार के दो बोल बोलऽ ले, क्या जाना है तेरा

क्योँ करते हो भेद रंग मे,क्या तेरा क्या मेरा
जिसने सबको प्यार दिया,जिसने सबको अपनाया
बनो अहिँसा के साथी ,सदा विजय ने साथ निभाया

तुमने हमको चलना सिखलाया ,तुमने ही ये है पाठ पढाया

बनो अहिँसा के साथी ,सदा विजय ने साथ निभाया निभाया

4 comments:

  1. बहुत अच्छा भावपूर्ण गीत है

    इसे गजल न कहें आप

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  2. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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