Saturday, January 29, 2011

ये तो दूनिया है भईया !

हरिद्वार उत्तराखंड राज्य का एक खूबसूरत सहर है जिसे धर्म नगरी कहा जाता है । माँ गंगा का पावन उदगम भी तो यही है ,चारो तरफ से पहाङो से घिरे अपनी एक अलग पहचान लिये इह सहर की एक ऐसी पहचान जो सबके आकर्षण का केन्द्र बनी रहती है । एक दुसरे के विपरीत दिशाओँ के पहाङो पर स्थित माँ चंडी देवी और नैना देवी की छटा निराली है,धर्म का केन्द्र बन चुकी इस नगरी मे हर रोड ,हर बाजार मे आपको किसी-न-किसी हिन्दू देवी देवताओँ के मंदीर अवश्य मिल जायेँगेँ । अगर आप हरिद्वार आएँ और गंगा जी के पावन लहरोँ मे गोता न लगाऐँ ये तो हो ही नही सकता ,जब मै रोडवेज मे बैठा हुआ लव कुश घाट पहुंचा तो वो नजारा देख कर हर हर गंगे की इच्छा अधुरी रह गई ,लोग धुप दिप ,कचरा ,गंदगी गंगा जी मे डाल रहे हैँ । सबको पवित्र करने वाली गंगा आखिर अपनी बात कहे तो कहे किसे ,इतना कुछ होने के बाद भी गंगा की धाराओँ की वो चंचलता ,कम नही हो रही है ।आखिर राष्ट्रीय नदी के रुप मे घोषित गंगा कब तक मैली रहेगी , हरिद्वार मे सङक के किनारे बने बङे होटलोँ ,ढाबोँ ,दुकानोँ जो इस सहर मे रहकर सिर्फ इसी गंगा नदी की वजह से कमाते हैँ , उस गंगा को स्वच्छ रखने मे थोङा योगदान भी नही दे सकते ,क्या गंगा जी को स्वच्छ रखने की जिम्मेदारी केवल सरकार की है ? लाखो-करोङो रुपये खर्च होने के बावजुद भी गंगा मैली क्योँ है?

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